आखिर क्या हे बुलेट बाबा मंदिर के ओम बन्ना का सच
आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे गाँव के एक चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने वाले हे जहा का सच जानने के बाद चाहे कोई भी व्यक्ति हो उसके मन में यह जगह देखने की उत्सुकता बढ़ जाती हे इस चमत्कारी मंदिर को बुलेट बाबा के मंदिर के नाम से जाना जाता हे लोग यहाँ बुलेट मोटर साइकिल को माथा टेकने के लिए आते हे ।
यह मंदिर राजस्थान के जोधपुर के नजदीक पाली जिले में चोटिला नामक गाँव में हे जो की पाली से 20 व जौधपुर से 50 किलो मीटर की दुरी पर स्थित हे इस मंदिर को बनाने की योजना हावड़ा में रहने वाले अनुतोष बनर्जी ने बनाई थी हजारो की संख्या में श्रद्धालु यह माथा टेकने आते हे ।
ओम बनना का इतिहास
2 दिसम्बर 1988 को ओम बन्ना बांगड़ी से चोटिला की यात्रा कर रहे थे तभी नियंत्रण खोने से ओम बन्ना एक पेड़ से टकरा गए और इस हादसे में उनकी मृत्यु हो गयी व उनकी मोटर सायकिल भी खाई में घिर चुकी थी । हादसे की अगली सुबह पुलिस ने मोटर साइकिल को थाने में खड़ी करि परन्तु अगले दिन गाडी वह नहीं थी जब पोलिस ने गाडी को ढूंढी तो वह हादसे वाले स्थान पर मिली इसके बाद पुलिस ने मोटरसायकिल को दुबारा अपनी हिरासत में लिया और पूरा पेट्रोल निकाल कर गाडी को थाने में चेन से बाँध दिया इसके बावजूद यह गाडी उसी स्थान पर पहुँच गयी थी जहा ओम बन्ना का निधन हुआ था । इस घटना पर स्थानीय व्यक्तियों का कहना था की मोटरसाइकिल को पुनः उसी खाई में फेक देनी चाहिए जहा वो मिली थी क्यों की पुलिस की सभी कोशिश बेकार हो चुकी थी । धीरे धीरे चमत्कार देखने के लिए लोग आया करते और जल्द ही माथा टेकने की परम्परा भी चालु हो गयी चमत्कार की कहानी जल्द ही आस पास के गाँव में फैलना शुरू हो गयी बाद में उसी जगह मोटरसाईकिल का मंदिर बनवाया गया जिसे बुलेट बाबा मंदिर या ओम बन्ना के स्थान के नाम से जाना जाता हे । और यात्री यहां अपनी सफल यात्रा के लिए पूजा करते हे तथा ओम बन्ना को श्रद्धालु द्वारा शराब का भोग भी लगाया जाता हे ।
यह मंदिर राजस्थान के जोधपुर के नजदीक पाली जिले में चोटिला नामक गाँव में हे जो की पाली से 20 व जौधपुर से 50 किलो मीटर की दुरी पर स्थित हे इस मंदिर को बनाने की योजना हावड़ा में रहने वाले अनुतोष बनर्जी ने बनाई थी हजारो की संख्या में श्रद्धालु यह माथा टेकने आते हे ।
ओम बनना का इतिहास
2 दिसम्बर 1988 को ओम बन्ना बांगड़ी से चोटिला की यात्रा कर रहे थे तभी नियंत्रण खोने से ओम बन्ना एक पेड़ से टकरा गए और इस हादसे में उनकी मृत्यु हो गयी व उनकी मोटर सायकिल भी खाई में घिर चुकी थी । हादसे की अगली सुबह पुलिस ने मोटर साइकिल को थाने में खड़ी करि परन्तु अगले दिन गाडी वह नहीं थी जब पोलिस ने गाडी को ढूंढी तो वह हादसे वाले स्थान पर मिली इसके बाद पुलिस ने मोटरसायकिल को दुबारा अपनी हिरासत में लिया और पूरा पेट्रोल निकाल कर गाडी को थाने में चेन से बाँध दिया इसके बावजूद यह गाडी उसी स्थान पर पहुँच गयी थी जहा ओम बन्ना का निधन हुआ था । इस घटना पर स्थानीय व्यक्तियों का कहना था की मोटरसाइकिल को पुनः उसी खाई में फेक देनी चाहिए जहा वो मिली थी क्यों की पुलिस की सभी कोशिश बेकार हो चुकी थी । धीरे धीरे चमत्कार देखने के लिए लोग आया करते और जल्द ही माथा टेकने की परम्परा भी चालु हो गयी चमत्कार की कहानी जल्द ही आस पास के गाँव में फैलना शुरू हो गयी बाद में उसी जगह मोटरसाईकिल का मंदिर बनवाया गया जिसे बुलेट बाबा मंदिर या ओम बन्ना के स्थान के नाम से जाना जाता हे । और यात्री यहां अपनी सफल यात्रा के लिए पूजा करते हे तथा ओम बन्ना को श्रद्धालु द्वारा शराब का भोग भी लगाया जाता हे ।
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