अपनों के दूर हो जाने पर मुस्लिम समाज ने दीया पुजारी की अर्थी को कन्धा,रीती रिवाज से किया अंतिम संस्कार
मेरठ, देश भर में लग रहे देशव्यापी लॉक डाउन के बिच मेरठ से भारत की गंगा जमुना तेहज़ीब को ज़िंदा रखने वाली एक खबर आई हे जिसे सुनकर हर किसी के दिल से बस एक ही आवाज़ आई होगी की इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं होता हे। कोरोना वायरस के भय से हर कोई गबराया हुआ हे ऐसे में कई जगह पर अर्थी को कन्धा देने वाले भी नहीं मिल रहे हे परन्तु कई लोग ऐसे भी हे जो हिन्दू मुस्लिम भेदवाव से परे इंसानियत की रक्षा करने में जुटे हुए हे।
मेरठ के शाहपीर गेट इलाके में स्थित एक धर्मशाला में रहने वाले ६९ वर्षीय पुजारी रमेश माथुर की मृत्यु हो गयी थी वह वही लम्बे समय से अपनी पत्नी के साथ रहते थे व धर्मशाला में मौजूद भगवान् चित्रगुप्त के मंदिर में पूजा अर्चना करने की जिम्मेदारी संभालते थे। उनकी मर्त्यु होने की खबर जब क्षेत्रीय पार्षद हिफ्जुर्रहमान को लगी तब वह तुरंत वह पहुंचे और जब देखा की कन्धा देने के लिए कोई भी नहीं हे तब उन्होंने शाहपीर गेट के लोगो से आग्रह किया जिसके बाद पुरे रीती रिवाज के साथ मुस्लिमसमाज के लोगो ने रमेश माथुर की अर्थी को सूरज कुंड शमशान गात तक पहुंचाया व उनके बेटे की मौजूदगी में अंतिमसंस्कार किया जिसके बाद हर कोई मुस्लिम समजा के लोग की तारीफ़ करने में जुट गया।
मुस्लिम समाज का कहना था की हमारा धर्म हमे सभी धर्मो की व उनके लोगो की इज्जत करने की शिक्षा देता हे जिसकी वजह से हम सभी इंसानियत को सर्वोपरि रखते हे व रमेश माथुर हमारे मोहल्ले के निवासी थे तो यह हमारा फ़र्ज़ था की इंसानियत को ज़िंदा रखा जाए।
मेरठ के शाहपीर गेट इलाके में स्थित एक धर्मशाला में रहने वाले ६९ वर्षीय पुजारी रमेश माथुर की मृत्यु हो गयी थी वह वही लम्बे समय से अपनी पत्नी के साथ रहते थे व धर्मशाला में मौजूद भगवान् चित्रगुप्त के मंदिर में पूजा अर्चना करने की जिम्मेदारी संभालते थे। उनकी मर्त्यु होने की खबर जब क्षेत्रीय पार्षद हिफ्जुर्रहमान को लगी तब वह तुरंत वह पहुंचे और जब देखा की कन्धा देने के लिए कोई भी नहीं हे तब उन्होंने शाहपीर गेट के लोगो से आग्रह किया जिसके बाद पुरे रीती रिवाज के साथ मुस्लिमसमाज के लोगो ने रमेश माथुर की अर्थी को सूरज कुंड शमशान गात तक पहुंचाया व उनके बेटे की मौजूदगी में अंतिमसंस्कार किया जिसके बाद हर कोई मुस्लिम समजा के लोग की तारीफ़ करने में जुट गया।
मुस्लिम समाज का कहना था की हमारा धर्म हमे सभी धर्मो की व उनके लोगो की इज्जत करने की शिक्षा देता हे जिसकी वजह से हम सभी इंसानियत को सर्वोपरि रखते हे व रमेश माथुर हमारे मोहल्ले के निवासी थे तो यह हमारा फ़र्ज़ था की इंसानियत को ज़िंदा रखा जाए।
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